Bank Rule: बैंकिंग प्रणाली किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ होती है। नागरिकों की मेहनत की कमाई और बचत का एक बड़ा हिस्सा बैंकों में जमा रहता है। हालांकि, कभी-कभी विभिन्न कारणों से बैंक वित्तीय संकट में आ जाते हैं और उनके डूबने या दिवालिया होने का खतरा पैदा हो जाता है।
ऐसी स्थिति में जमाकर्ताओं के मन में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि क्या उनका पैसा सुरक्षित है और अगर बैंक डूब जाता है तो उन्हें कितनी राशि वापस मिलेगी।
इस लेख में हम भारत में बैंक डूबने की स्थिति में जमाकर्ताओं के लिए उपलब्ध सुरक्षा, जमा बीमा व्यवस्था, और वास्तव में कितनी राशि की गारंटी मिलती है, इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए जमाकर्ता क्या सावधानियां बरत सकते हैं।
जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC)
DICGC का परिचय और कार्य
भारत में बैंक जमाओं की सुरक्षा का दायित्व ‘जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम’ (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation – DICGC) पर है।
यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक सहायक कंपनी है, जिसका गठन 1978 में किया गया था। DICGC का प्राथमिक उद्देश्य बैंक के डूबने या दिवालिया होने की स्थिति में जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना है।
DICGC के अंतर्गत भारत में कार्यरत सभी वाणिज्यिक बैंक (विदेशी बैंकों की शाखाओं सहित), स्थानीय क्षेत्र के बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक शामिल हैं। प्रत्येक बैंक DICGC को प्रीमियम का भुगतान करता है, जिससे जमाकर्ताओं के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
बीमा कवरेज की राशि
वर्तमान में, DICGC प्रत्येक जमाकर्ता के लिए प्रति बैंक अधिकतम 5 लाख रुपये तक की जमा राशि का बीमा कवरेज प्रदान करता है। यह सीमा फरवरी 2020 में 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की गई थी, जो 4 फरवरी, 2020 से प्रभावी हुई।
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि यह बीमा कवरेज प्रति जमाकर्ता प्रति बैंक के आधार पर है, न कि प्रति खाता। इसका अर्थ है कि अगर एक व्यक्ति के एक ही बैंक में कई खाते हैं (जैसे बचत खाता, चालू खाता, सावधि जमा आदि), तो सभी खातों में जमा राशि को मिलाकर अधिकतम 5 लाख रुपये तक की ही गारंटी मिलेगी।
बीमा कवरेज में शामिल जमा प्रकार
DICGC द्वारा प्रदान किए जाने वाले बीमा कवरेज में निम्नलिखित प्रकार की जमाएं शामिल हैं:
-
बचत बैंक जमा (Savings Bank Deposits)
-
सावधि जमा (Fixed Deposits)
-
चालू खाता जमा (Current Account Deposits)
-
आवर्ती जमा (Recurring Deposits)
- विदेशी मुद्रा में जमा (Foreign Currency Deposits) – इनका मूल्यांकन भारतीय रुपये में किया जाता है
इसके अलावा, संयुक्त खातों में जमा राशि भी बीमा कवरेज के अंतर्गत आती है। हालांकि, निम्नलिखित प्रकार की जमाएं DICGC बीमा कवरेज के दायरे से बाहर हैं:
-
विदेशी सरकारों की जमाएं
-
केंद्र/राज्य सरकारों की जमाएं
-
अंतर-बैंक जमाएं
-
राज्य भूमि विकास बैंकों द्वारा राज्य सहकारी बैंकों में रखी गई जमाएं
-
किसी भी कोर्ट के आदेश के तहत जमा की गई राशि
बैंक डूबने पर क्या होता है?
जब कोई बैंक वित्तीय संकट में आता है और उसके डूबने का खतरा होता है, तो RBI विभिन्न उपाय करता है। यहां एक बैंक के डूबने के मामले में होने वाली प्रक्रिया की मुख्य बातें हैं:
1. RBI द्वारा नियंत्रण
सबसे पहले, RBI संकटग्रस्त बैंक पर मॉरेटोरियम (अस्थायी रोक) लगा देता है, जिसके तहत जमाकर्ताओं की निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इस दौरान, जमाकर्ता केवल एक निश्चित सीमा तक ही पैसे निकाल सकते हैं (जैसे 1 लाख या 5 लाख रुपये प्रति महीने)। यह सीमा RBI द्वारा स्थिति के अनुसार तय की जाती है।
2. विलय या पुनर्गठन
RBI फिर संकटग्रस्त बैंक का किसी अन्य मजबूत बैंक के साथ विलय करने या उसके पुनर्गठन की कोशिश करता है। उदाहरण के लिए, हाल के वर्षों में, यस बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक, और पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक के मामलों में RBI ने इसी तरह के कदम उठाए।
3. DICGC द्वारा भुगतान
अगर बैंक का विलय या पुनर्गठन संभव नहीं होता और बैंक को बंद करने का निर्णय लिया जाता है, तो DICGC द्वारा जमाकर्ताओं को बीमित राशि (वर्तमान में 5 लाख रुपये तक) का भुगतान किया जाता है।
जमा बीमा क्लेम प्रक्रिया और समय सीमा
DICGC अधिनियम में 2021 में किए गए संशोधनों के अनुसार, अब जमाकर्ताओं को बीमित राशि का भुगतान पहले की तुलना में काफी जल्दी मिलता है। नई प्रक्रिया के अनुसार:
-
जब RBI किसी बैंक पर मॉरेटोरियम लगाता है, तो 90 दिनों के भीतर DICGC को बीमित जमाओं का भुगतान करना होता है।
-
इस 90 दिनों की अवधि में:
-
पहले 45 दिनों में बैंक को DICGC को जमाकर्ताओं की सूची और बीमित राशि प्रस्तुत करनी होती है।
-
अगले 45 दिनों में DICGC द्वारा जमाकर्ताओं को भुगतान किया जाता है।
-
-
जमाकर्ताओं को अपने बीमित दावों के लिए अलग से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होती है। संकटग्रस्त बैंक स्वयं DICGC को आवश्यक जानकारी प्रदान करता है।
-
भुगतान आमतौर पर जमाकर्ता के किसी अन्य बैंक खाते में किया जाता है, या उन्हें डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से भेजा जाता है।
यह नई प्रक्रिया 2021 के पहले की स्थिति से बहुत बेहतर है, जब जमाकर्ताओं को बैंक के परिसमापन के बाद ही भुगतान मिलता था, जिसमें कई वर्ष लग सकते थे।
5 लाख रुपये से अधिक की जमा राशि का क्या होगा?
जमाकर्ताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अगर उनकी जमा राशि 5 लाख रुपये से अधिक है, तो क्या होगा? यहां कुछ प्रमुख बिंदु हैं:
-
DICGC गारंटी: DICGC केवल 5 लाख रुपये तक की राशि की ही गारंटी देता है। इससे अधिक की राशि के लिए कोई निश्चित गारंटी नहीं है।
-
बैंक के परिसंपत्तियों का परिसमापन: 5 लाख रुपये से अधिक की राशि की वापसी बैंक की परिसंपत्तियों के परिसमापन पर निर्भर करती है। बैंक की संपत्तियों को बेचकर जो धन प्राप्त होता है, उसे अन्य देनदारियों के निपटारे के बाद, जमाकर्ताओं के बीच उनकी शेष जमा राशि के अनुपात में वितरित किया जाता है।
-
आंशिक वसूली: आमतौर पर, जमाकर्ता अपनी शेष राशि का कुछ हिस्सा ही वापस पा सकते हैं, और यह प्रक्रिया कई वर्षों तक चल सकती है।
-
विलय के मामले में अधिक संभावना: अगर बैंक का किसी अन्य बैंक के साथ विलय होता है, तो 5 लाख रुपये से अधिक की राशि की वापसी की संभावना अधिक होती है, क्योंकि नया बैंक सभी जमाओं और देनदारियों को अपने पास ले लेता है।
हालिया उदाहरण और सबक
पिछले कुछ वर्षों में भारत में कई बैंक वित्तीय संकट का सामना कर चुके हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मामले और उनसे मिले सबक निम्नलिखित हैं:
1. यस बैंक संकट (2020)
2020 में यस बैंक गंभीर वित्तीय संकट में आ गया था। RBI ने बैंक पर मॉरेटोरियम लगाया और निकासी पर 50,000 रुपये की सीमा लगा दी। बाद में, एक पुनर्गठन योजना के तहत, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और अन्य निवेशकों ने बैंक में निवेश किया, जिससे बैंक को बचाया गया। सभी जमाकर्ताओं को उनकी पूरी राशि मिल गई, लेकिन इस प्रक्रिया में कई महीने लग गए।
2. पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक मामला (2019)
2019 में, RBI ने PMC बैंक पर मॉरेटोरियम लगाया और शुरू में निकासी सीमा केवल 1,000 रुपये रखी, जिसे बाद में बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया गया। 2021 में, PMC बैंक का विलय यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक के साथ किया गया। इस मामले में, जमाकर्ताओं को लंबे समय तक अपने पैसे तक पूरी पहुंच नहीं मिली।
3. लक्ष्मी विलास बैंक संकट (2020)
2020 में, RBI ने लक्ष्मी विलास बैंक पर मॉरेटोरियम लगाया और उसका विलय DBS बैंक इंडिया के साथ किया। इस मामले में भी, जमाकर्ताओं को पूरी राशि मिली, लेकिन मॉरेटोरियम के दौरान उन्हें अपने पैसे तक सीमित पहुंच ही मिली।
इन मामलों से सीखा गया सबक यह है कि भले ही अंततः जमाकर्ताओं को उनका पैसा मिल जाए, लेकिन बैंक संकट के दौरान उन्हें अपनी जमा राशि तक सीमित पहुंच का सामना करना पड़ सकता है, जिससे तात्कालिक वित्तीय कठिनाइयां हो सकती हैं।
अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए सुझाव
बैंकिंग प्रणाली में जोखिम को कम करने और अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए, जमाकर्ता निम्नलिखित सावधानियां बरत सकते हैं:
1. पैसे को विभिन्न बैंकों में रखें
एक ही बैंक में 5 लाख रुपये से अधिक जमा रखने के बजाय, अपने पैसे को विभिन्न बैंकों में वितरित करें। चूंकि DICGC की गारंटी प्रति बैंक 5 लाख रुपये तक है, इसलिए अलग-अलग बैंकों में खाते रखने से आप अपनी अधिक राशि को बीमित कर सकते हैं।
2. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का चयन करें
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (जैसे SBI, PNB, BOB आदि) सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और इन्हें डूबने का जोखिम कम होता है, क्योंकि सरकार आमतौर पर इन्हें विफल नहीं होने देती।
3. बैंक के वित्तीय स्वास्थ्य की जांच करें
किसी बैंक में निवेश करने से पहले, उसके वित्तीय स्वास्थ्य की जांच करें। बैंकों के वार्षिक रिपोर्ट, NPA (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) का स्तर, और क्रेडिट रेटिंग जैसे संकेतकों पर ध्यान दें।
4. अपनी जरूरत से अधिक नकदी न रखें
अपनी तत्काल और मध्यम अवधि की जरूरतों के लिए पर्याप्त राशि ही बैंक में रखें। अतिरिक्त धन को सरकारी प्रतिभूतियों, म्यूचुअल फंड, या अन्य निवेश विकल्पों में विविधिकृत करें।
5. सहकारी बैंकों के साथ सावधानी बरतें
हालांकि सहकारी बैंक भी DICGC द्वारा कवर किए जाते हैं, लेकिन इनमें वित्तीय संकट की घटनाएं अधिक देखी गई हैं। अगर आप सहकारी बैंकों में निवेश करते हैं, तो 5 लाख रुपये की सीमा का विशेष ध्यान रखें।
6. नियमित रूप से अपने खाते की निगरानी करें
अपने बैंक खातों की नियमित जांच करें और किसी भी अनियमितता पर तुरंत कार्रवाई करें। ऑनलाइन बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, या SMS अलर्ट जैसी सुविधाओं का उपयोग करें।
Bank Rule: निष्कर्ष
भारत में, DICGC द्वारा प्रदान की जाने वाली 5 लाख रुपये तक की जमा बीमा गारंटी जमाकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है। हालांकि, बड़ी राशि वाले जमाकर्ताओं के लिए यह पर्याप्त नहीं हो सकती।
इसलिए, अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए विविधीकरण और सावधानीपूर्ण निवेश रणनीतियों को अपनाना महत्वपूर्ण है।
बैंकिंग प्रणाली में विश्वास आवश्यक है, लेकिन साथ ही सतर्कता भी जरूरी है। अपने वित्तीय निर्णयों में समझदारी बरतें और अपने निवेश को विभिन्न प्रकार के वित्तीय साधनों और संस्थानों में वितरित करें। याद रखें, वित्तीय सुरक्षा एक सतत प्रक्रिया है, और जागरूक रहकर आप अपने धन को सुरक्षित रख सकते हैं।
भारतीय बैंकिंग प्रणाली ने पिछले कुछ वर्षों में कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन सुधारात्मक उपायों और नियामक परिवर्तनों के माध्यम से, यह अधिक मजबूत और जमाकर्ता-अनुकूल बनती जा रही है।
जमाकर्ताओं के हित में किए गए परिवर्तन, जैसे त्वरित बीमा भुगतान प्रक्रिया और बढ़ी हुई बीमा कवरेज, निश्चित रूप से सकारात्मक कदम हैं।