Pension New Rule : कर्मचारियों के पेंशन को लेकर बदल गए नियम, इस महीने से बढ़ने वाली है सैलरी

BY Sandeep Kumar

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Pension New Rule

Pension New Rule : भारत में पेंशन व्यवस्था हमेशा से एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय रहा है। जब व्यक्ति अपनी सक्रिय कामकाजी जिंदगी की इति लिखकर सेवानिवृत्त होता है, तो पेंशन ही उसकी आर्थिक सुरक्षा का मुख्य आधार बन जाती है।

हाल के वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने पेंशन व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिनका प्रभाव करोड़ों बुजुर्गों और भावी पेंशनभोगियों पर पड़ता है। ये नए नियम कई मामलों में राहत देने वाले हैं, तो कुछ स्थितियों में नई चुनौतियां भी खड़ी करते हैं।

पुरानी पेंशन योजना (OPS) बनाम नई पेंशन योजना (NPS)

भारत में पेंशन व्यवस्था का सबसे बड़ा बदलाव 2004 में आया था जब नई पेंशन योजना (NPS) की शुरुआत हुई। इसके बाद से जो भी सरकारी कर्मचारी नियुक्त हुए, वे NPS के तहत आते हैं, जबकि 2004 से पहले की नियुक्तियां पुरानी पेंशन योजना (OPS) के अंतर्गत आती हैं।

दिल्ली के एक रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल राजेश कुमार शर्मा बताते हैं, “मैं 1985 में नौकरी में आया था, इसलिए मुझे पुरानी पेंशन मिलती है। मेरे जूनियर जो 2005 में आए, उन्हें NPS मिलेगा। हमारी पेंशन गारंटीड है, उनकी मार्केट पर निर्भर है।”

पुरानी व्यवस्था में रिटायरमेंट के समय अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था, जबकि NPS में यह बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। यही कारण है कि कई राज्यों में OPS वापसी की मांग उठ रही है।

राज्यों में OPS की वापसी: राजनीतिक और आर्थिक पहलू

हाल के वर्षों में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में पुरानी पेंशन योजना वापस लाने की घोषणा की गई है। यह फैसला न केवल राजनीतिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

राजस्थान के जयपुर में सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली अध्यापिका सुनीता जोशी कहती हैं, “जब हमने सुना कि पुरानी पेंशन वापस आ रही है तो बहुत खुशी हुई। NPS में हमेशा चिंता रहती थी कि पता नहीं रिटायरमेंट के बाद कितना मिलेगा।”

लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि OPS की वापसी राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ा सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, OPS के कारण राज्यों पर अतिरिक्त 4.5 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है।

EPF में नए नियम: कर्मचारियों के लिए मिश्रित संकेत

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने भी कई नए नियम लागू किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब PF अकाउंट को आधार से लिंक करना अनिवार्य हो गया है। साथ ही, UAN (Universal Account Number) के बिना अब कोई भी EPF-संबंधी काम नहीं हो सकता।

मुंबई के एक IT कंपनी में काम करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमित पटेल बताते हैं, “UAN से सब कुछ online हो गया है। PF withdraw करना हो या status check करना हो, सब घर बैठे हो जाता है। लेकिन कभी-कभी technical glitch की वजह से परेशानी भी होती है।”

EPF में अब ब्याज दर भी अलग-अलग होती है। 2.5 लाख रुपये तक के बैलेंस पर अधिक ब्याज मिलता है, जबकि इससे अधिक राशि पर कम दर से ब्याज मिलता है।

पेंशन पोर्टेबिलिटी: नौकरी बदलने वालों के लिए राहत

नई व्यवस्था में पेंशन की पोर्टेबिलिटी एक महत्वपूर्ण सुधार है। अब अगर कोई व्यक्ति नौकरी बदलता है तो उसका पेंशन अकाउंट भी साथ चला जाता है। यह खासकर प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए बहुत फायदेमंद है।

बैंगलुरु के एक मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव प्रदीप राव कहते हैं, “मैंने तीन कंपनी बदली हैं, लेकिन मेरा EPF account continuous चलता रहा। यह बहुत अच्छी सुविधा है। पहले नई जगह फिर से account खोलना पड़ता था।”

महिला कर्मचारियों के लिए विशेष प्रावधान

नए नियमों में महिला कर्मचारियों के लिए कुछ विशेष सुविधाएं भी दी गई हैं। मातृत्व अवकाश के दौरान EPF contribution जारी रखने की सुविधा और विधवा पेंशन के नियमों में सुधार किया गया है।

दिल्ली की एक बैंक मैनेजर सुप्रिया अग्रवाल बताती हैं, “मैटर्निटी लीव के दौरान भी EPF contribution होता रहता है। यह महिलाओं के लिए बहुत अच्छी बात है। रिटायरमेंट के समय इससे फर्क पड़ेगा।”

डिजिटलीकरण: सुविधा और चुनौती

पेंशन व्यवस्था में डिजिटलीकरण के कारण कई काम आसान हो गए हैं। Online PF withdrawal, pension calculation, और status checking अब घर बैठे हो सकता है। लेकिन बुजुर्गों के लिए यह चुनौती भी है।

कोलकाता के 68 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर सुब्रत घोष कहते हैं, “सब कुछ online हो गया है। मेरे बेटे की मदद लेनी पड़ती है। पहले bank जाकर सब काम हो जाता था, अब computer सीखना पड़ रहा है।”

Digital life certificate भी अब अनिवार्य हो गई है। हर साल पेंशनभोगियों को अपना life certificate submit करना होता है, वरना पेंशन रुक जाती है।

कैश-लेस ट्रीटमेंट और मेडिकल बेनिफिट्स

सरकारी कर्मचारियों के लिए CGHS (Central Government Health Scheme) और अन्य मेडिकल बेनिफिट्स में भी सुधार हुआ है। अब cashless treatment की सुविधा अधिक अस्पतालों में उपलब्ध है।

चेन्नई के एक रिटायर्ड IAS अधिकारी के. रामकृष्णन बताते हैं, “CGHS में अब private hospitals भी empanel हो गए हैं। Treatment की quality बेहतर हो गई है। Emergency में cashless facility बहुत काम आती है।”

राज्य सरकार बनाम केंद्र सरकार की पेंशन नीति

केंद्र सरकार NPS को लेकर अडिग है और इसमें सुधार की बात करती है, जबकि कई राज्य सरकारें OPS वापसी के पक्ष में हैं। यह difference of opinion भविष्य में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर डॉ. संजय मिश्रा कहते हैं, “केंद्र कुछ और कह रहा है, राज्य कुछ और कर रहे हैं। हम confused हैं कि हमारा future क्या होगा। Clear policy होनी चाहिए।”

NPS में सुधार की कोशिशें

केंद्र सरकार NPS में कई सुधार करने की कोशिश कर रही है। Tax benefit बढ़ाना, withdrawal rules में relaxation, और employer contribution बढ़ाना जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।

दिल्ली के एक फाइनेंशियल एडवाइजर रवि कुमार बताते हैं, “NPS में अब tax benefit 2 लाख तक हो गई है। साथ ही partial withdrawal की सुविधा भी है। यह improvements हैं लेकिन लोग guaranteed pension चाहते हैं।”

प्राइवेट सेक्टर में पेंशन की स्थिति

प्राइवेट कंपनियों में पेंशन की स्थिति अलग है। कई बड़ी कंपनियां अपने employees के लिए gratuity और PF के अलावा superannuation fund भी देती हैं।

गुड़गांव की एक MNC में HR head प्रिया शर्मा कहती हैं, “हमारी कंपनी employees के retirement planning में मदद करती है। NPS के अलावा ULIP और mutual funds में भी invest करने को कहते हैं।”

कृषि क्षेत्र में पेंशन योजनाएं

PM-Kisan Maandhan Yojana के तहत छोटे किसानों के लिए भी पेंशन की व्यवस्था की गई है। 18-40 वर्ष के किसान monthly contribution देकर 60 साल बाद पेंशन पा सकते हैं।

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के किसान रामलाल पटेल बताते हैं, “मैंने किसान pension scheme में enrollment करवाया है। हर महीने 100 रुपये देता हूं। 60 साल बाद 3000 रुपये monthly मिलेंगे।”

लेकिन इस योजना में enrollment अपेक्षा से कम है। किसानों में जागरूकता की कमी और irregular income के कारण यह योजना उतनी popular नहीं हो पा रही।

वृद्धावस्था पेंशन योजनाएं

केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर विभिन्न वृद्धावस्था पेंशन योजनाएं चलाती हैं। Indira Gandhi National Old Age Pension Scheme के तहत BPL परिवारों के 60+ लोगों को monthly pension मिलती है।

राजस्थान के जोधपुर की रहने वाली 70 वर्षीय कमला देवी कहती हैं, “मुझे हर महीने 1000 रुपये pension मिलती है। यह राशि कम है लेकिन कुछ तो support मिलता है। दवाई खरीदने में काम आ जाती है।”

पेंशन में टैक्स के नए नियम

पेंशन income पर taxation के भी नए नियम हैं। अब commuted pension का कुछ हिस्सा tax-free है, बाकी पर tax देना होता है। Family pension पर भी नए tax rules लागू हैं।

चंडीगढ़ के एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी हरीश कुमार बताते हैं, “पहले पूरी pension tax-free थी। अब कुछ हिस्से पर tax देना पड़ता है। Tax planning करनी पड़ती है।”

भविष्य में पेंशन व्यवस्था की दिशा

विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में पेंशन व्यवस्था और भी जटिल हो सकती है। Inflation, बढ़ती life expectancy, और healthcare costs के कारण pension adequacy एक बड़ा मुद्दा बनेगा।

दिल्ली के एक renowned economist प्रो. अशोक मित्रा कहते हैं, “भारत में demographic transition हो रहा है। बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। Pension system को sustainable बनाना बड़ी चुनौती है।”

महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) में बदलाव

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए DA के नियम भी बदले गए हैं। अब DA की calculation और payment के नए formulas हैं। Retired employees को भी DA का benefit मिलता है।

नई दिल्ली के एक रिटायर्ड central govt employee राम प्रकाश यादव बताते हैं, “DA बढ़ने से pension भी बढ़ जाती है। यह inflation को handle करने में मदद करता है। लेकिन DA increase का पैटर्न अब अलग है।”

विधवा पेंशन और फैमिली पेंशन के नए नियम

विधवा पेंशन और family pension के नियमों में भी सुधार हुआ है। अब spouse को pension की राशि बढ़ाई गई है और eligibility criteria भी सरल बनाए गए हैं।

लुधियाना की रहने वाली सुरजीत कौर कहती हैं, “मेरे पति की death के बाद family pension मिल रही है। यह राशि बढ़ाई गई है। बच्चों की पढ़ाई में मदद मिलती है।”

Pension New Rule : कर्मचारियों के पेंशन को लेकर बदल गए नियम

पेंशन के नए नियम एक जटिल विषय हैं जो करोड़ों भारतीयों के भविष्य को प्रभावित करते हैं। जहां कुछ बदलाव सकारात्मक हैं और pension holders को राहत देते हैं, वहीं कुछ चुनौतियां भी हैं।

सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पेंशन व्यवस्था को sustainable कैसे बनाया जाए। OPS की मांग legitimate है क्योंकि यह guaranteed income देती है, लेकिन इसका fiscal impact भी बहुत बड़ा है।

सरकार को एक balanced approach अपनाना होगा जो employees की security भी ensure करे और fiscal discipline भी maintain करे। NPS में और सुधार करके इसे OPS के alternative के रूप में मजबूत बनाना होगा।

डिजिटलीकरण की process को और user-friendly बनाना होगा, खासकर बुजुर्गों के लिए। साथ ही, विभिन्न pension schemes के बीच coordination भी बेहतर करना होगा।

अंततः, पेंशन व्यवस्था का उद्देश्य यह होना चाहिए कि हर व्यक्ति को retirement के बाद dignified life जीने के लिए adequate income मिले। यह केवल government employees तक सीमित न रहकर सभी sector के workers तक पहुंचे।

भविष्य में pension reforms की यात्रा जारी रहेगी। सभी stakeholders को मिलकर एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जो sustainable भी हो और socially just भी हो। तभी भारत की बढ़ती बुजुर्ग आबादी को economic security मिल सकेगी।

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