Property News : प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) ने भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाई है। 24 फरवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के भागलपुर में इस योजना की 19वीं किस्त का शुभारंभ किया।
इस ऐतिहासिक घटना में देशभर के 9.8 करोड़ किसानों को 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की गई। यह योजना 2019 में शुरू हुई थी और अब तक 3.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि किसानों के खातों में पहुंचाई जा चुकी है।
योजना की मुख्य विशेषताएं और लाभ
पीएम किसान निधि योजना के तहत पात्र किसानों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि तीन समान किस्तों में दी जाती है, जिसमें प्रत्येक किस्त 2,000 रुपये की होती है। किस्तें हर चार महीने के अंतराल पर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से सीधे किसानों के आधार सीडेड बैंक खातों में भेजी जाती हैं।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को उनकी कृषि और संबद्ध गतिविधियों के साथ-साथ घरेलू जरूरतों के लिए पूरक वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसमें 100% फंडिंग भारत सरकार द्वारा की जाती है।
19वीं किस्त में 2.41 करोड़ महिला किसानों को भी लाभ मिला है, जो योजना की व्यापकता और लैंगिक समानता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह राशि कृषि इनपुट खरीदने, बीज, खाद, कीटनाशक और अन्य कृषि संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक है।
पात्रता मानदंड और आवश्यक शर्तें
पीएम किसान योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को कुछ निर्धारित मानदंडों को पूरा करना होता है। सबसे पहली शर्त यह है कि आवेदक के पास खेती योग्य भूमि होनी चाहिए जो उसके नाम पर पंजीकृत हो। भूमि का आकार कोई सीमा नहीं है, लेकिन केवल भूमिधारक किसान परिवार ही इस योजना के पात्र हैं।
योजना के तहत ‘परिवार’ की परिभाषा में पति, पत्नी और नाबालिग बच्चे शामिल हैं। यदि परिवार का कोई भी सदस्य पिछले निर्धारण वर्ष में आयकर दाता था, तो वह परिवार इस योजना के लिए पात्र नहीं है। इसके अतिरिक्त, सरकारी नौकरी में कार्यरत व्यक्ति और उनके परिवार भी इस योजना से बाहर हैं।
किसान का बैंक खाता आधार कार्ड से लिंक होना आवश्यक है। e-KYC (इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर) की प्रक्रिया पूरी करना भी अनिवार्य है। जिन किसानों ने अभी तक e-KYC नहीं कराया है, उन्हें तुरंत इस प्रक्रिया को पूरा करना चाहिए, अन्यथा उनकी किस्त रोक दी जा सकती है।
e-KYC की महत्वता और प्रक्रिया
e-KYC (इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी) सभी पीएम किसान लाभार्थियों के लिए अनिवार्य कर दी गई है। जिन किसानों ने यह प्रक्रिया पूरी नहीं की है, उनके भुगतान रोक दिए जाते हैं। e-KYC की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तीन तरीके उपलब्ध हैं।
पहला तरीका ऑनलाइन है, जहां किसान pmkisan.gov.in पोर्टल पर जाकर ‘फार्मर कॉर्नर’ सेक्शन में ‘eKYC’ विकल्प पर क्लिक कर सकते हैं। आधार नंबर दर्ज करने के बाद OTP के माध्यम से सत्यापन किया जा सकता है। दूसरा तरीका निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में जाकर बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के माध्यम से e-KYC कराना है।
तीसरा तरीका PM-KISAN मोबाइल ऐप के माध्यम से है। यह ऐप आधिकारिक वेबसाइट या प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। ऐप में e-KYC का विकल्प उपलब्ध है जो उपयोगकर्ता-मित्र इंटरफेस प्रदान करता है।
भुगतान स्थिति की जांच और समस्या निवारण
किसान अपनी भुगतान स्थिति की जांच करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट pmkisan.gov.in पर जा सकते हैं। होम पेज पर ‘फार्मर कॉर्नर’ सेक्शन में ‘बेनिफिशियरी स्टेटस’ विकल्प पर क्लिक करके अपना रजिस्ट्रेशन नंबर, आधार नंबर या मोबाइल नंबर दर्ज कर सकते हैं।
यदि किसी किसान को किस्त नहीं मिली है, तो इसके कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम कारण अधूरा e-KYC है। दूसरा कारण बैंक खाते में समस्या हो सकती है, जैसे खाता निष्क्रिय होना या NPCI से लिंक न होना। तीसरा कारण आधार कार्ड का बैंक खाते से लिंक न होना है।
भूमि सत्यापन प्रक्रिया अधूरी होना भी भुगतान में देरी का कारण हो सकता है। सरकार इस सत्यापन को अनिवार्य बनाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भूमि रिकॉर्ड लाभार्थी के विवरण से मेल खाते हैं।
तकनीकी नवाचार और डिजिटल अवसंरचना
पीएम किसान योजना में उन्नत तकनीकी समाधान अपनाए गए हैं। किसान केंद्रित डिजिटल अवसंरचना के माध्यम से बिना किसी बिचौलिए के योजना का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचता है। आधार आधारित DBT सिस्टम पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और भ्रष्टाचार को रोकता है।
कृषि मंत्रालय ने किसान ई-मित्र (AI चैटबॉट) भी विकसित किया है, जो 10 स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध है। यह चैटबॉट किसानों की समस्याओं का तुरंत समाधान प्रदान करता है। इसमें टेक्स्ट और वॉयस दोनों सुविधाएं हैं, जिससे कम पढ़े-लिखे किसान भी आसानी से अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
भाषिनी प्लेटफॉर्म के साथ एकीकरण के कारण यह चैटबॉट विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रभावी रूप से काम करता है। किसान बातचीत के दौरान भाषा बदल भी सकते हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड के साथ एकीकरण
पीएम किसान योजना को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना के साथ जोड़ा गया है। 1998 में शुरू की गई KCC योजना का उद्देश्य किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध कराना है। पीएम किसान लाभार्थी KCC के लिए आवेदन करके कम ब्याज दरों पर अल्पकालीन ऋण ले सकते हैं।
यह एकीकरण किसानों को न केवल प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करता है बल्कि उन्हें आवश्यक कृषि ऋण भी उपलब्ध कराता है। KCC धारक किसान अपने EPF खाते की जानकारी भी एक्सेस कर सकते हैं, बशर्ते वे 20 से अधिक कर्मचारियों वाले संगठन में काम करते हों और उनकी मासिक आय 15,000 रुपये से कम हो।
वर्ष 2025 में आगामी किस्तें
वर्ष 2025 में किसानों को तीन किस्तें मिलेंगी – 19वीं, 20वीं और 21वीं। 19वीं किस्त 24 फरवरी 2025 को जारी की जा चुकी है। 20वीं किस्त जून 2025 में जारी होने की उम्मीद है। वर्ष की अंतिम 21वीं किस्त अक्टूबर 2025 में दी जाने की संभावना है।
हालांकि आधिकारिक तारीखों की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन आमतौर पर यह किस्तें इन्हीं महीनों में जारी की जाती हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इन लाभों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करें।
बजट 2025 में इस योजना की राशि बढ़ाने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वार्षिक राशि 6,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 या 12,000 रुपये की जा सकती है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है।
योजना का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
पीएम किसान निधि योजना ने भारतीय कृषि में व्यापक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाए हैं। इससे छोटे और सीमांत किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। प्रत्यक्ष आय सहायता के कारण किसान अपनी तत्काल जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और कृषि में निवेश बढ़ा सकते हैं।
महिला किसानों की भागीदारी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 19वीं किस्त में 2.41 करोड़ महिला किसानों को लाभ मिला, जो लैंगिक समानता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और सशक्तिकरण में योगदान देता है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ने से स्थानीय बाजारों को भी लाभ हुआ है। किसान इस राशि का उपयोग कृषि उपकरण, बीज, खाद और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीद में करते हैं, जिससे संपूर्ण कृषि आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा मिलता है।
राज्यवार कार्यान्वयन और चुनौतियां
विभिन्न राज्यों में योजना का कार्यान्वयन अलग-अलग स्तरों पर हो रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में सबसे अधिक लाभार्थी हैं। यह इन राज्यों में कृषि आधारित आबादी की बड़ी संख्या को दर्शाता है।
मुख्य चुनौतियों में भूमि रिकॉर्ड की अशुद्धता, डिजिटल साक्षरता की कमी, और बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच की समस्या शामिल हैं। सरकार इन समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। CSC केंद्रों के माध्यम से डिजिटल सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार और बिचौलियों की समस्या को DBT सिस्टम के माध्यम से काफी हद तक नियंत्रित किया गया है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अभी भी जमीनी स्तर पर चुनौतियां बनी हुई हैं।
भविष्य की योजनाएं और सुधार
सरकार योजना के दायरे को और विस्तृत करने की योजना बना रही है। कृषि के साथ-साथ संबद्ध गतिविधियों जैसे पशुपालन, मत्स्य पालन और बागवानी में लगे किसानों को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। तकनीकी सुधारों के माध्यम से योजना की पहुंच और प्रभावशीलता बढ़ाई जा रही है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करके बेहतर लक्ष्यीकरण और धोखाधड़ी की रोकथाम की जा रही है। ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग करके भुगतान प्रणाली को और भी पारदर्शी बनाने की योजना है।
मोबाइल ऐप की कार्यक्षमता को बढ़ाया जा रहा है ताकि किसान एक ही प्लेटफॉर्म से सभी सरकारी सेवाओं का लाभ उठा सकें। वॉयस कमांड और स्थानीय भाषा समर्थन को और बेहतर बनाया जा रहा है।
सहायता और समस्या निवारण
योजना से संबंधित किसी भी समस्या के लिए किसान हेल्पलाइन नंबर 155261 या 011-24300606 पर संपर्क कर सकते हैं। ये नंबर 24×7 उपलब्ध हैं और हिंदी तथा अंग्रेजी में सहायता प्रदान करते हैं।
आधिकारिक वेबसाइट पर ‘Register and Track Status of Query’ सुविधा भी उपलब्ध है, जहां किसान अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और उसकी स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं। किसान ई-मित्र चैटबॉट का भी उपयोग कर सकते हैं जो तुरंत उत्तर प्रदान करता है।
स्थानीय स्तर पर कृषि विस्तार अधिकारी और CSC केंद्र भी किसानों की सहायता करते हैं। जिला कलेक्टर के कार्यालय में भी योजना से संबंधित जानकारी उपलब्ध है।
Property News : पिता की संपत्ति में बेटियों को मिलने वाला है इतना हक
पीएम किसान सम्मान निधि योजना ने भारतीय कृषि के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा है। यह न केवल किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है बल्कि उनकी गरिमा भी बढ़ाती है। 6 वर्षों में 3.68 लाख करोड़ रुपये का वितरण इसकी सफलता का प्रमाण है।
आने वाले समय में इस योजना का और भी विस्तार होने की उम्मीद है। तकनीकी नवाचारों के साथ-साथ राशि में वृद्धि की संभावना भी है। सरकार की प्रतिबद्धता और किसानों की सक्रिय भागीदारी से यह योजना भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सक्षम है।
जो किसान अभी तक इस योजना से नहीं जुड़े हैं, उन्हें तुरंत पंजीकरण कराना चाहिए। पंजीकृत किसानों को अपनी e-KYC, आधार लिंकिंग और भूमि सत्यापन की स्थिति नियमित रूप से चेक करते रहना चाहिए। यह योजना किसानों के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।