Retirement Age Hike : कर्मचारियों की बढ़ गई रिटायरमेंट उम्र, अब 60 साल के होंगे रिटायर

BY Sandeep Kumar

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Retirement Age Hike

Retirement Age Hike : भारत में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है। जबकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में तत्काल कोई बदलाव नहीं होगा, कई राज्य सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के निर्णय लिए हैं।

यह विषय न केवल करोड़ों सरकारी कर्मचारियों को प्रभावित करता है बल्कि देश की आर्थिक नीति और रोजगार के अवसरों पर भी गहरा प्रभाव डालता है।

केंद्र सरकार की स्पष्ट स्थिति

केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में दिए गए बयान में स्पष्ट रूप से कहा है कि केंद्र सरकार का केंद्रीय कर्मचारियों की मौजूदा सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष में बदलाव करने का कोई इरादा नहीं है।

यह बयान सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों और अटकलों के बीच दिया गया, जिसमें दावा किया जा रहा था कि सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी जाएगी।

प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने नवंबर 2024 में एक फैक्ट-चेक जारी करके इन दावों का खंडन किया था। पीआईबी ने स्पष्ट किया कि 1 अप्रैल 2025 से सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष करने की कोई योजना नहीं है। मार्च 2025 में लोकसभा में उठाए गए सवालों के जवाब में भी मंत्री ने यह स्थिति दोहराई।

वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में कोई बदलाव नहीं है और यह 60 वर्ष पर ही बनी हुई है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस आयु में परिवर्तन के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान स्थिति

भारत में केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु का इतिहास दिलचस्प है। पांचवें केंद्रीय वेतन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 30 मई 1998 को केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 साल से बढ़ाकर 60 साल की गई थी।

यह निर्णय कर्मचारियों के बेहतर स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि और अनुभवी कर्मचारियों की सेवाओं का बेहतर उपयोग करने के उद्देश्य से लिया गया था।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु भी 60 वर्ष निर्धारित है। रक्षा सेवाओं में अलग-अलग रैंक और सेवा के आधार पर सेवानिवृत्ति आयु अलग होती है, लेकिन नागरिक कर्मचारियों के लिए यह एकसमान 60 वर्ष है।

वर्तमान नीति के अनुसार, यदि किसी कर्मचारी की जन्म तारीख महीने की पहली तारीख है, तो वह 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद पिछले महीने के अंतिम दिन दोपहर को सेवानिवृत्त होगा। यह नियम सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू होता है।

राज्य सरकारों में बदलाव की लहर

जबकि केंद्र सरकार अपनी स्थिति पर अडिग है, कई राज्य सरकारों ने अपने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। यह बदलाव राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है क्योंकि सेवानिवृत्ति आयु राज्य सरकार का विषय है।

आंध्र प्रदेश सरकार ने जनवरी 2022 में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी। राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी, जो 1 जनवरी 2022 से प्रभावी हुआ।

मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने कहा था कि कर्मचारियों का अनुभव राज्य की संपत्ति है और सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर राज्य उनकी सेवाओं का बेहतर उपयोग कर सकता है।

केरल ने भी अपने सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 60 वर्ष की है। कई अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार के बदलाव देखने को मिले हैं। हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में भी सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की मांगें उठी हैं।

आर्थिक और सामाजिक कारक

सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं। सबसे पहले, भारत की जीवन प्रत्याशा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 1998 में जहाँ यह 61.7 वर्ष थी, वहीं 2020 में यह बढ़कर 70.1 वर्ष हो गई है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और जीवनशैली के कारण लोग अधिक समय तक स्वस्थ और सक्रिय रह रहे हैं।

दूसरा महत्वपूर्ण कारक आर्थिक दबाव है। सरकारी खजाने पर बढ़ता पेंशन का बोझ और सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान राज्य सरकारों के लिए चुनौती बन रहा है। सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से इन भुगतानों में देरी होती है और सरकारी वित्त पर दबाव कम होता है।

तीसरा कारक अनुभवी कर्मचारियों की सेवाओं का उपयोग है। सरकारी विभागों में अनुभवी और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी को देखते हुए, उनकी सेवाओं को अधिक समय तक उपयोग करना व्यावहारिक है।

युवाओं पर प्रभाव और रोजगार के अवसर

सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का सबसे बड़ा विरोध युवाओं की ओर से आता है। जब वरिष्ठ कर्मचारी दो साल अधिक काम करते हैं, तो नई भर्तियों में देरी होती है। इससे युवाओं के लिए सरकारी नौकरी के अवसर कम हो जाते हैं।

भारत में युवाओं की बड़ी आबादी को देखते हुए, यह चिंता का विषय है। प्रतिवर्ष लाखों युवा सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेते हैं। सेवानिवृत्ति आयु बढ़ने से उनके लिए अवसर सीमित हो सकते हैं।

हालांकि, समर्थकों का तर्क है कि यह केवल अस्थायी प्रभाव है। दो साल बाद जब ये कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे, तो अधिक पद एक साथ खाली होंगे। इसके अलावा, अनुभवी कर्मचारियों से युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण और मार्गदर्शन मिल सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय तुलना और भविष्य की संभावनाएं

वैश्विक स्तर पर देखें तो भारत की सेवानिवृत्ति आयु सबसे कम है। अमेरिका में यह 67 वर्ष है, जापान में 65 वर्ष, जर्मनी में 67 वर्ष और ब्रिटेन में 66 वर्ष है। इस तुलना में भारत की 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु कम लगती है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने भी सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का समर्थन किया है। उनका तर्क है कि इससे कर्मचारियों को अधिक समय तक योगदान करने का अवसर मिलेगा और उनका भविष्य निधि कॉर्पस बड़ा होगा।

भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2064 तक भारत में सेवानिवृत्ति आयु 66.1 वर्ष तक बढ़ सकती है। यह अनुमान 2020 के बाद कार्यबल में शामिल होने वाले लोगों के लिए लागू हो सकता है।

कानूनी और प्रशासनिक पहलू

सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के निर्णय कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियां भी लाते हैं। पहले से तय पेंशन योजनाओं, ग्रेच्युटी नियमों और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में संशोधन की आवश्यकता होती है।

वर्तमान में ग्रेच्युटी की अधिकतम राशि आयकर अधिनियम की धारा 10(10) के तहत 20 लाख रुपये निर्धारित है, जो पहले 10 लाख रुपये थी। सेवानिवृत्ति आयु बढ़ने से इन नियमों में और भी बदलाव की आवश्यकता हो सकती है।

राज्य सरकारों के लिए यह चुनौती है कि वे केंद्रीय नियमों के साथ तालमेल बिठाएं या अपनी अलग नीति अपनाएं। आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने अपना रास्ता चुना है, जबकि अन्य राज्य अभी भी निर्णय की प्रतीक्षा में हैं।

कर्मचारी संघों की भूमिका

विभिन्न कर्मचारी संघों की इस मुद्दे पर अलग-अलग राय है। कुछ संघ सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का समर्थन करते हैं क्योंकि इससे कर्मचारियों की आय की अवधि बढ़ती है और पेंशन कॉर्पस में वृद्धि होती है। दूसरी ओर, कुछ संघ इसका विरोध करते हैं क्योंकि इससे युवाओं के अवसर कम होते हैं।

राष्ट्रीय परिषद की संयुक्त सलाहकार समिति से अभी तक सेवानिवृत्ति आयु बदलने का कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है। यह दर्शाता है कि कर्मचारी संघों में इस मुद्दे पर एकमत नहीं है।

भविष्य की नीति और सुझाव

विशेषज्ञों का मानना है कि सेवानिवृत्ति आयु का निर्णय केवल आर्थिक कारकों के आधार पर नहीं बल्कि सामाजिक न्याय और रोजगार के अवसरों को ध्यान में रखकर लिया जाना चाहिए। एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो वरिष्ठ कर्मचारियों के हितों के साथ-साथ युवाओं के अवसरों को भी सुनिश्चित करे।

कुछ विशेषज्ञ सुझाते हैं कि सेवानिवृत्ति आयु को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, पहले 61 वर्ष, फिर कुछ वर्षों बाद 62 वर्ष करना। इससे प्रशासनिक और सामाजिक अनुकूलन में आसानी होगी।

एक अन्य सुझाव यह है कि सेवानिवृत्ति आयु को वैकल्पिक बनाया जाए। कर्मचारी 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो सकें या 62 वर्ष तक काम करने का विकल्प चुन सकें। इससे व्यक्तिगत पसंद और परिस्थितियों का सम्मान होगा।

Retirement Age Hike : कर्मचारियों की बढ़ गई रिटायरमेंट उम्र

सेवानिवृत्ति आयु का मुद्दा जटिल है और इसके कई आयाम हैं। केंद्र सरकार फिलहाल अपनी मौजूदा नीति पर कायम है, लेकिन राज्य सरकारों में बदलाव की लहर दिखाई दे रही है।

भविष्य में केंद्र सरकार भी इस दिशा में कदम उठा सकती है, लेकिन यह निर्णय सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाना चाहिए।

अंततः, यह निर्णय देश की आर्थिक स्थिति, जनसांख्यिकीय बदलाव, रोजगार की स्थिति और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर लिया जाना चाहिए। जो भी निर्णय हो, वह पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से और सभी संबंधित पक्षों की राय लेकर लिया जाना चाहिए। तभी यह समाज के व्यापक हित में होगा और इसकी स्वीकार्यता सुनिश्चित हो सकेगी।

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